tag:blogger.com,1999:blog-8618563753372872684.post1300342910473686012..comments2023-07-07T00:26:47.803-07:00Comments on चौथी दुनिया: क्या हो गया मीडिया को ?ARVIND KUMAR SINGHhttp://www.blogger.com/profile/06424234925868182400noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8618563753372872684.post-49883309743081729812008-08-07T04:33:00.000-07:002008-08-07T04:33:00.000-07:00अरबिंद जी, खबरें तो सभी होती हैं फर्क सिर्फ यह है ...अरबिंद जी, खबरें तो सभी होती हैं फर्क सिर्फ यह है कि कोई दिनभर देखी जा सकती हैं तो कोई दो चार बार बाद ही बंद कर दी जाती हैं। अगर टीआरपी नहो तो क्या आप किसी चानल को बंद होते देखने का शौक रखते हैं। मित्र दुनिया में सही गलत सबकुछ है। करना बस यह है कि- सार-सार को गहि रहै, थोथा देहि उड़ाय।। मतलब सिर्फ थोथा पर नजर कम रखिए। अब ब्लाग खोला है तो निंदा की बजाए ऐसे विषयों पर खुद भी लिखिए। मैं थोड़ा बहुत ऐसा करता हूं। यकीन के लिए मेरे ब्लाग चिंतन का भ्रमण कर सकते हैं।<BR/><BR/>ये मेरे ब्लाग हैं---<BR/>http://apnamat.blogspot.com ( चिंतन )<BR/>http://chintan.mywebdunia.com<BR/>http://hamaravatan.blogspot.com Dr Mandhata Singhhttps://www.blogger.com/profile/05562848365103091157noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618563753372872684.post-7322882232730698122008-08-06T22:03:00.000-07:002008-08-06T22:03:00.000-07:00टीआरपी सिर्फ इलैक्ट्रानकि को ही नहीं बल्कि पाठक सं...टीआरपी सिर्फ इलैक्ट्रानकि को ही नहीं बल्कि पाठक संख्या प्रिंट को भी चाहिए। साथ में अपमार्केट रीडरशिप या ब्यूरशिप का भी ध्यान रखना होता है ताकि विज्ञापनदाताआें आैर एजेंसियों के सामने यह तथ्य प्रस्तुत किया जा सके कि हम सबसे ज्यादा एेसे लोगों को उल्लू बनाने में सक्षम हैं जिनकी जेब में माल है। एेसे में सरोकार की बात करना ही बेमानी है। चैनल भी धंधा करने को बाजार में उतरे हैं आैर प्रिंट भी। फिर चैनलों का ही रोना क्यों?Hari Joshihttps://www.blogger.com/profile/13632382660773459908noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618563753372872684.post-33507207852352259132008-08-06T09:18:00.000-07:002008-08-06T09:18:00.000-07:00रोहतक की सरिता ने आत्महत्या कर ली थी, मगर वो मामला...रोहतक की सरिता ने आत्महत्या कर ली थी, मगर वो मामला मीडिया में क्यों नहीं आया-- ये लिखने से पहले काश आपने कोई टीवी चैनल देखा होता... या अखबार पढ़ा होता(चाहे हिंदी का, या फिर अंग्रेजी का) तो मुमकिन था कि आप सही तथ्यों के साथ सामने आते। आपने जितनी भी घटनाओं का जिक्र किया है, वो सभी किसी न किसी न्यूज चैनल की खबर बनीं हैं... पता नहीं आप किस दुनिया में रहते हैं। जागो बंधु, पांच अगस्त 2008 को गुर्जर आंदोलन नहीं, जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ जमीन विवाद ताजा खबर है। मेरे ख्याल से आपको नियमित रूप से अखबार पढ़ने या कोई चैनल देखने की आदत डाल लेनी चाहिए..इससे सामान्य ज्ञान बना रहेगा। इस सलाह को अन्यथा न लेना मित्र।Ashok Kaushikhttps://www.blogger.com/profile/05042082557570996507noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618563753372872684.post-56512355756080074392008-08-06T08:53:00.000-07:002008-08-06T08:53:00.000-07:00मैं मानता हूँ कि सबसे जादा मीडिया को जिम्मेदाराना ...मैं मानता हूँ कि सबसे जादा मीडिया को जिम्मेदाराना होना चाहिए. ज़ाहिर चिंतन. शुर्किया. <BR/>---<BR/>यहाँ भी पधारे;<BR/>उल्टा तीरAmit K Sagarhttps://www.blogger.com/profile/15327916625569849443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618563753372872684.post-82453775917722973182008-08-06T07:16:00.000-07:002008-08-06T07:16:00.000-07:00क्रिपया नया लिखेंक्रिपया नया लिखेंDr. Anil Kumar Tyagihttps://www.blogger.com/profile/01930475643027515517noreply@blogger.com